Wednesday, June 17, 2009

एक आग

मेरे अंदर एक आग है
तमन्नाओं की
अरमानों की
कल्पनाओं की
बाहर की राह पा गई
तो इक मशाल होगी
जो कई अंधेरे घरों में
दीप जलाएगी
बुझे हुए उदास चेहरों पे
खुशी की लहर लाएगी
यह जो मन के अंधेरों में
घर के पिछवाद्दे गंदगी सी भरी है
उसे बुहार जायेगी
जीवन समस्या ही तो नहीं
कुछ और भी है
प्यार के मीठे यह गीत गायेगी
मगर सवाल बाकी है ?
राह न मिली तो
यह मुझे जला कर मिटा जायेगी
अगणित लाखों करोडों की तरह
यह भी माती से आई अर्थ हीन हो
मट्टी मैं मिल जायेगी ॥

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