Thursday, June 25, 2009

एक तूफान

कुछ पुराने तूफान भी डायरी के पन्नों में कैद थे यह जीवन कीअसली सीढियां हैं जो इंसान को आगे बढाती हैं ____
एक तूफान था
झकझोड़ गया पेड़ पौधों
खेत खलिहानों को ।
बिखर गया भीतर कुछ
अंतस के तार तार हिल गए
शक्ति भी नहीं थी आंसूं बहाने को ।

हवा का तेज़ रुख था
टूटे दरों दीवार
तोडा ठौर ठिकानों को ।
कच्चे पक्के धागे टूटे
रिश्ते टूटे नाते टूटे
जोड़ गया कई अनजानों को ।

उड़ा ले गया अपने साथ
पुरानी टूटी जुड़ी सम्पदा
जर्जर हुए सामानों को ।
पुरानी अधूरी चाहें टूटी
मित्र छूते अपने रूठे
चोट पड़ी अरमानों को ।

वह समय का बिगुल था
जो समझ गए वह निकल गए
कुछ रह गए दफ्नानें को ।
प्रकृति का यही नियम
तोड़ती हैं ठोकती है
जगह मिलती है ठोस ठिकानों को ।

यह समय की सीख थी
बहुत कुछ मिटा गई
दे गई एक चाह सजाने को।
बनूँ अर्जुन तुम्हारे चरणों का
सम्र्पर्ण हो पूर्ण ऐंसा
हर दम रहूँ तैयार तीर चलाने को ।

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