जीवन कुछ कुछ अधूरा सा लगता है
कुछ भी पालो
मगर कुछ खोनें का अहसास सा लगता है
जीवन कुछ कुछ अधूरा सा लगता है ।
चल रहे हैं
पर पीछे कुछ छूट गया ,ऐंसा लगता है
जीवन कुछ कुछ अधूरा सा लगता है ।
सच बोलो मेरे साथी
क्या तुमको भी कभी ऐंसा वैंसा लगता है ?
हाँ ,हाँ ---क्यूँ कि
इस अधूरे पॅन के पीछे
उस पूर्णतव को पा लेने की चाह छिपी
कुछ भी पा लेने के पीछे
उसके खोने की सच्ची कड़वाहट रुकी
चलते ही रहना जीवन
पर इसके रुकने के पीछे है मौत छिपी
यह जीवन दर्शन समझ ले
इसके पीछे ही जीवन की मुस्कराहट छिपी ॥
Friday, July 24, 2009
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bahut bahut bahut hi sundar jiwan darshan.....
ReplyDeletebahut hi sundar kawita
ReplyDeletebahut sundar kavita .
ReplyDeleteहिन्दीकुंज
बहुत सुन्दर कृति
ReplyDelete---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
Achcha aga aapke blog par aakar.Shubkamnayen.
ReplyDeleteप्रेमजी , आपके लिखे पे कुछ भी टिप्पणी करनेके लिए खुदको अक्सर असमर्थ पाती हूँ ...जो जीवन अनुभव से लिखा हो ,उसपे भला कोई क्या कह सकता है ..?और आप इस क़दर सरल ,सहज ढंग से पेश करती हैं ,कि , क्या कहूँ ?
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
सुन्दर जीवन दर्शन,प्रेम जी-
ReplyDelete’जीवन तो बस इक कविता है,
कवि इसमें भरता है जीवन।
सारा जग जो कवि बनजाये,
पल-पल मुस्काये ये जीवन।"