मन कहता है
कविता लिखी नहीं जाती
वह फूट तीहै --निर्झर झरने सी
कभी फूलों की मुस्कान की तरह
कभी तितली के रंग बिरंगे रंगों सी
जुगनूँ की चाप छोड़ती चमक की तरह
कभी पहाडों और चट्टानों का
सीना चीरती ,
बह उठती है गंगा के पावन स्त्रोत की तरह
प्रकृति भेज उसे काशी हरिद्वार
शांत कर देती उसके उदगार ।
मन के दलियारे से
गई हूँ गंगा किनारे
वहां से कुछ बूंदे
अलकों में समेट
कुछ छोटे छोटे कलश भर लाई हूँ
उसके किनारे पड़े
छोटे चमकते कंकड़ भी बटोर लाई हूँ
मुखरित हुआ है मन
तुम्हे कुछ सुनाने चली आई हूँ
Wednesday, July 22, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Dewlance: Web Hosting Company
ReplyDeleteDewlance Best Web Hosting
1 GB Web Space
Unlimited Bandwidth,email,ftp,domain parking...etc.
$2.92/year (Rs.146/year) Web Space 1 GB
$9.98/year (Rs.499/year) Web Space 5 GB
$15.99/year(Rs.799/year) Web Space 10 GB
.uk Domain $5 (Rs.250)
Reseller Hosting
Unlimited Bandwidth,email,ftp,domain parking on all plans
1. Disk Space 10 GB $7/m & $49/year (Rs.350/m & Rs.2450/year)
2. 30 GB Disk Space $16/m & $150/year (Rs.799/m & Rs.7500/Year)
3. Unlimited Disk Space $19.98/m & $199/year(Rs.999/m & Rs.9950/year)
Free Domain or All reseller hosting annaual Purchase
Free Domain Reseller on all reseller pack
Free Domain privacy
Free Tech. support
Dewlance: Best Web Hosting
वह फूट तीहै --निर्झर झरने सी
ReplyDeleteकभी फूलों की मुस्कान की तरह
कभी तितली के रंग बिरंगे रंगों सी
जुगनूँ की चाप छोड़ती चमक की तरह
bahut sunder kavita aise hi hoti hai.
मन कहता है
ReplyDeleteकविता लिखी नहीं जाती
वह फूट तीहै --निर्झर झरने सी
कभी फूलों की मुस्कान की तरह
कभी तितली के रंग बिरंगे रंगों सी
जुगनूँ की चाप छोड़ती चमक की तरह
कभी पहाडों और चट्टानों का
सीना चीरती ,
शायद आप का मन सत्य ही कह रहा है, अपने भी विचार कुछ ऐसे ही हैं
सुन्दर प्रस्तुति.
बधाई.
खुबसुरत अन्दाज आप की प्रस्तुति का ।
ReplyDelete