वक्त की चालों से दुखी कौन
जोवक्त की ताकत को समझता नहीं
इधर से उधर बेचैनहोता कौन
जो अपने अंतस को ही समझता नहीं ।
ज़िन्दगी भर पूर जीने का नाम
जो मिला है वह तेरा है
जो नहीं मिला वह तेरा था ही नहीं
खोने पाने से क्यूँ ऊपर तू उठता नहीं ।
इस षण भंगुर जगत का पाना खोना
उतना ही जितना उसे तू देख ले
आँखे बंद कर ,अंधकार की ओरसे
खोल प्रकाश में सब कुछ चमकता यहीं ।
आँखे खोल ,उनकी ओरडेख
जिन्होनें कभी कुछ पाया ही नहीं
और तो और पेट भर कभी खाया ही नहीं
उनसे नज़र मिला ,देख प्रभु कैंसे दीखता नहीं ।
बाहें फैलाये जग बुला रहा है
कान तो खोल ,आवाज़ तो सुन
आँखें तो खोल ,पुकार तो सुन
सच्चा साधक तो वक्त के आगे झुकता नहीं ।
Sunday, October 25, 2009
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bahut badiya saccha saadhak to waqt ke aage jhukta nahi ati sundar
ReplyDeletejyotishkishore.blogspot.com
बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना...यथार्थ के एक दम करीब...जीवन जीने का पाठ पढाती हुई...वाह.
ReplyDeleteनीरज
बाहें फैलाये जग बुला रहा है
ReplyDeleteकान तो खोल ,आवाज़ तो सुन
आँखें तो खोल ,पुकार तो सुन
सच्चा साधक तो वक्त के आगे झुकता नहीं ।
आपकी रचनाओ मे मुझे एक परिपक्वता देखने को मिलती है जो मार्गदर्श्न भी करती है ......धन्यावाद!
ज़िन्दगी भर पूर जीने का नाम
ReplyDeleteजो मिला है वह तेरा है
जो नहीं मिला वह तेरा था ही नहीं
खोने पाने से क्यूँ ऊपर तू उठता नहीं .........
सत्य लिखा है ..... गीता के सार की तरह .... जो इन सब चीजों से उठ जाता है वाही सच्ची शान्ति और आनंद का अनुभव कर पाता है ........
सच्चा साधक तो वक्त के आगे झुकता नहीं । -सत्य वचन, उम्दा रचना!!
ReplyDeletezindgi ke phalasphe ko
ReplyDeletebkhoobi bayaan karti hui
saarthak rachnaa
abhivaadan svikaareiN