Saturday, January 23, 2010

मौन

दुनिया की यह हलचल
अब शोर सा लगता है
भीतर से आ रही आवाज़ का
स्वर मधुर सा लगता है ।
मुझे मेरे मौन में खो जाने दो
कि बज रहा वहां सितार बड़ी लय से
मुझे आवाज़ न दो
कोई कुछ कह रहा बात मेरी रूह की तह से ।
तुम्हें क्या समझाऊँ क्या सुनाऊँ
कोई स्वर नहीं कोई भाषा नहीं इसकी
यह तो एहसास है ,अनुभूति है
यों आया और यों गया कोई पकड़ नहीं इसकी ॥
२५ दिसम्बर कि पोस्ट भी देखें

Thursday, January 7, 2010

नव वर्ष की सबको हार्दिक शुभकामनायें ,प्रभु कृपा आने वाले हर दिन को मंगलमय करे ।
अपने मन से एक अनुरोध ------
जाग मनवा जाग तू सोया सोया जाग
नए वर्ष की नई किरण का सुन आह्वान
जाग मनवा जाग --------
इस जग का तू मुसाफिर ही तो है
अपनी यात्रा की मंजिल को पहचान
जाग मनवा जाग --------
कहीं से आया ,न जाने कहाँ जाना
आज के जीवन की गति को पहचान
जाग मनवा जाग ----------
यों ही खा पीकर पशुवत चला जाएगा
या कभी चिंतन को भी देगा मान
जाग मनवा जाग ---------
आख़िर मैं हूँ कौन ,क्यूँ आया यहाँ
मानव है ,इन प्रश्नों पर दे कुछ ध्यान
जाग मनवा जाग -----------
जग क्या करे क्या सोचे तुझे क्या लेना
कर प्रयोग अपने विवेक का ओ बुद्धिमान
जाग मनवा जाग -----------
जिस दिन जाग गया तू बन्दे
हर सुबह नई सुबह देगी नई पहचान
जाग मनवा जाग तू सोया सोया जाग ॥