Friday, July 24, 2009

कुछ सवाल कुछ जवाब

जीवन कुछ कुछ अधूरा सा लगता है
कुछ भी पालो
मगर कुछ खोनें का अहसास सा लगता है
जीवन कुछ कुछ अधूरा सा लगता है ।
चल रहे हैं
पर पीछे कुछ छूट गया ,ऐंसा लगता है
जीवन कुछ कुछ अधूरा सा लगता है ।
सच बोलो मेरे साथी
क्या तुमको भी कभी ऐंसा वैंसा लगता है ?

हाँ ,हाँ ---क्यूँ कि
इस अधूरे पॅन के पीछे
उस पूर्णतव को पा लेने की चाह छिपी
कुछ भी पा लेने के पीछे
उसके खोने की सच्ची कड़वाहट रुकी
चलते ही रहना जीवन
पर इसके रुकने के पीछे है मौत छिपी
यह जीवन दर्शन समझ ले
इसके पीछे ही जीवन की मुस्कराहट छिपी ॥

7 comments:

  1. bahut bahut bahut hi sundar jiwan darshan.....

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  2. Achcha aga aapke blog par aakar.Shubkamnayen.

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  3. प्रेमजी , आपके लिखे पे कुछ भी टिप्पणी करनेके लिए खुदको अक्सर असमर्थ पाती हूँ ...जो जीवन अनुभव से लिखा हो ,उसपे भला कोई क्या कह सकता है ..?और आप इस क़दर सरल ,सहज ढंग से पेश करती हैं ,कि , क्या कहूँ ?

    http://shamasansmaran.blogspot.com

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  4. सुन्दर जीवन दर्शन,प्रेम जी-

    ’जीवन तो बस इक कविता है,
    कवि इसमें भरता है जीवन।
    सारा जग जो कवि बनजाये,
    पल-पल मुस्काये ये जीवन।"

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