Thursday, June 25, 2009

कभी दर्द से दवा कड़वी होती

कभी रोग से
उपचार अधिक कष्ट भरा होता
दर्द से दवा
कड़वी होती
और वह कड़वा घूँट पीना एक मजबूरी ।
पैर में चुभे
कांटे को निकालने वाली सुई
पैर से खून
निकाल देती
मगर कांटा निकालना होता बहुत ज़रूरी ।
प्यार तो
एक बहुत ही सुंदर प्रभु मय भाव
बन मगर मोह
दुःख देता
चाहे अनचाहे बाँध लेती रिश्तों की डोरी ।
मानव मन
कितना भी समझ ले यह जगत रंग मंच
फिर भी अटक जाता
भटक जाता
जीवन की चाहतें कभी होती नहीं पूरी ।

3 comments:

  1. रचना के बहुत सुन्दर भाव हैं बधाई स्वीकारें।

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  2. very beautiful - I have not read/ heard this one before.

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